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तू मुझसे भी कुछ बाँट ले !

स्वर्ग से आया परिंदा, करता आसमान में तरंग
चुपके छुपके बतावे हमको, प्रभु के
बहुरंग
कहता है, तू खोल अपने कपाट ले
वो रहा है, रहा तू उससे भी कुछ बाँट ले !


उसकी बात, कर नजरंदाज
लगा करने, रोजी काम काज
परिंदा आया, फिर मुझसे बतियाया
कहता है, तू बिछा अपनी खाट ले
वो ही गया, ही गया तू उससे भी कुछ बाँट ले !

जस प्रभु मेरे द्वार पधारे
ले जल थाल पहुच प्रभु पाँव पखारे
देख छवि हम आँखे मीचै
जोर जोर की साँसे सीचै


अदभुत,अदभुत करता बुदबुद उदित हुआ रवि
ची ची, चु चु , चै चै करती चिड़िया बनी कवि
कहती प्रभु से तू थाम अज्ञानी का हाँथ ले
तू इससे भी कुछ बाँट ले, इससे भी कुछ बाँट
ले !



मै इंसान, तू भगवान्
तू ज्ञानी ,मै अज्ञान
फिर हो गलती तो तू मुझको, प्रेम भाव से डांट ले
पर तू मुझसे भी कुह बाँट ले,मुझसे भी कुछ बाँट ले !!

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मै लिख रहा हु क्योंकि आज मै लिखने को तैयार हुआ,  अगर आप पढ़ रहे  तो सिर्फ क्युकि आप पढ़ने को तैयार है ! लेकिन हम देख नहीं सकते क्युकि आज हम देखने को तैयार नहीं। ईश्वर, अल्लाह, जीसस, भगवान, देवता सुनते सुनते ३० की दहलीज़ छूने वाला हु, हें ३० ! यकीन नहीं होता ना !! खैर ये मेरी लीला है. आज लीलाधर असल लीलाधरो की खोज में है, और मै ही क्यों ! क्या आपको अपने भगवान् से नहीं मिलना? देखो....  विज्ञान और आध्यात्म की तो बस की नहीं ! मेरे पास बीच का रास्ता है  अगर इच्छुक हो !!....... तो आईये मिलते है. बोलिये "हम बहुत ख़ुद्दार, घमंडी, और बहानेबाज़ी के गोल्डमेडलिस्ट है". अरे बोलिये!! कम से कम १० बार यही बोलिये। यकीन मानिये सुकून मिलेगा और है ही तभी तो इंसान है ! चलिए स्पष्टीकरण भी देता हु, मैंने अनेक लोगो से पूछा, भाई क्या आप भगवान् में विश्वास रखते है, अगर हाँ, तो बताइये वो है कहाँ ? जवाब - वो हर जगह है !! तुम्हारी कसम बचपन से यही जवाब सुनता आ रहा था।  फिर से यही सुना तो मै झुलझुला उठा, फिर पूछा- भाई वो कौन सी जगह है, जहा मै उनसे मिल सकू. बोला - मंदिर, मस्जिद, चर्च सब भगवान् के ही तो घर है

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