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तू मुझसे भी कुछ बाँट ले !

स्वर्ग से आया परिंदा, करता आसमान में तरंग
चुपके छुपके बतावे हमको, प्रभु के
बहुरंग
कहता है, तू खोल अपने कपाट ले
वो रहा है, रहा तू उससे भी कुछ बाँट ले !


उसकी बात, कर नजरंदाज
लगा करने, रोजी काम काज
परिंदा आया, फिर मुझसे बतियाया
कहता है, तू बिछा अपनी खाट ले
वो ही गया, ही गया तू उससे भी कुछ बाँट ले !

जस प्रभु मेरे द्वार पधारे
ले जल थाल पहुच प्रभु पाँव पखारे
देख छवि हम आँखे मीचै
जोर जोर की साँसे सीचै


अदभुत,अदभुत करता बुदबुद उदित हुआ रवि
ची ची, चु चु , चै चै करती चिड़िया बनी कवि
कहती प्रभु से तू थाम अज्ञानी का हाँथ ले
तू इससे भी कुछ बाँट ले, इससे भी कुछ बाँट
ले !



मै इंसान, तू भगवान्
तू ज्ञानी ,मै अज्ञान
फिर हो गलती तो तू मुझको, प्रेम भाव से डांट ले
पर तू मुझसे भी कुह बाँट ले,मुझसे भी कुछ बाँट ले !!

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