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एक आशा !

डेट थी उस दिन 6 सितम्बर
९० मिला था मुझे रोल्न्म्बर
डर,खौफ ,और था रैगिंग साया
पहले दिन जब मै कॉलेज आया ||

जा क्लास, मै बैठा सबसे पीछे
टकटकाती नजरे प्रवेश द्वार पे खीचे
आते शर्माते चेहरों से,था मै अनजान
याद आई पापा की-"अच्छो से बनाना पहचान" ||

गुजरा वक़्त बन गए दोस्त
सब थे अपने, ना कोई होस्ट
मिलते सुबह और गले लगाते
अपनी खिचाई में भी ,थे मुस्कुराते
लंच से पहले टिफिन चुराते
खुद तो खाते ,चार और बुलाते ||


अब लगी है हमको किसकी ? नजर
लेता कोई किसी की खैर खबर
बस हाथ मिलाते, चले जाते
आते सामने, तो नजर चुराते
याद करो !हम ,आये थे पूरे साठ
फिर बटे क्यों ! ग्रुप, ले-ले कर आठ ||

सुनो दोस्तों- आज है फ्रेंडशिप डे
जान लो अपनी क्लास में नहीं है कोई गे
फिर रह रह के अलग, हम क्यों शर्माते है
अब भी जाओ दौड़ के,हम गले लग जाते है ||

ये है हमारा आखरी साल
कोई होगा कही ,तो कोई पुर्तगाल
नहीं पता कब दिखोगे ,फिर कब होगी बात
यही सोच के आज मै, बढाता हु अपना हाथ
तुम क्यों चुप बैठे हो, बोलो कोई बात
अब भी जाओ दौड़ के, और दे दो अपना साथ !!



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