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मत आना इस देश ओ दामिनी !

मत आना इस देश ओ दामिनी !

जंगल में जानवर तो मरे,
संतुलन बना रहा ..
देखो ! कुछ इंसान भी तो जानवर  बने।

ओ दामिनी, तुम कहना उस ब्रह्म ब्रम्हा से,
देख तेरी 'अमानत', तेरी धरती क्या से क्या हो गयी !
कुछ लार टपकते शैतानो  की ख्वाहिश,
मुझे नॊच  कर पूरी हो गयी.....!
पर देख, एक माँ के सुनहरे सपनो को लेकर
ये 'अनामिका ' सो गयी...!!



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